यावेळी 'ओम नमः शिवाय, ओम् त्रयंबकम् यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बंधनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् इत्यादी मंत्रांचा उच्चार करा. शिवलिंगाची प्रतिष्ठापना करण्यासाठी लक्षात घ्या की, पूजा करताना तुमचे तोंड पूर्व-उत्तर दिशेला असावे. दररोज सकाळी नियमित पूजा करावी, असे केल्याने सकारात्मक लाभ होतो. तर श्रावण किंवा शिवरात्रीच्या सोमवारी विशेष पूजा करा.
पारद शिवलिंग मंत्र : पारद शिवलिंग की पूजा कैसे की जाती हे?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पारद शिवलिंग को बहुत शुभ माना गया है। पारद शिवलिंग शुद्ध पारा धातु से बना होता है। इसकी स्थापना से दरिद्रता दूर हो जाती है और माता लक्ष्मी का घर में वास होता है। पारद शिवलिंग को स्थापित करने से आरोग्य, धन-धान्य, सुख और पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। पारद शिवलिंग को भगवान् शिव, माँ लक्ष्मी और कुबेर देव का प्रतीक माना जाता है। आंतरिक और आध्यत्मिक शक्ति पाने के लिए भी पारद शिवलिंग की स्थापना की जाती है।
पारद शिवलिंग को साक्षात शिवजी का स्वरूप माना गया है, इसकी पूजा से मिलता है अक्षय पुण्य
- शिवलिंग घरों में अलग तरह से स्थापित होता है और मंदिर में अलग तरीके से.
अथर्ववेद के इन निम्न श्लोकों में स्तंभ का उल्लेख हुआ है:
पारदशिवलिंग इतना शक्तिशाली शिवलिंग है की अगर पूजा करने वाले उपासक पर कोई संकट आता है तो यह शिवलिंग स्वयं अपने ऊपर ले लेता है और टुट जाता
पारद शिवलिंग को घर में रखना चाहिए या नहीं
परभणी पर्यटन मृत्युंजय पारदेश्ववर मंदीर (पारद शिवलिंग)
इसके बाद आपको शिवलिंग पर चावल अर्पण करें और मिठाई का भोग भी लगाना चाहिए।
ब्रह्मपुराण, वैवर्तपुराण, शिव पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में पारद शिवलिंग की महिमा का वर्णन मिलता है। शहरों के अनुसार, पारद शिवलिंग की पूजा से व्यक्ति के जीवन में चल रही सभी तरह की परेशानियां दूर होने लगती है। व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और उसके घर में सुख समृद्धि का वास होता है। यदि घर में कोई लंबे समय से किसी बीमारी से पीड़ित हो तो उसे पारद शिवलिंग की पूजा जरूर करनी चाहिए। आर्थिक हानि से बचने और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए पारद शिवलिंग की पूजा बेहद लाभकारी होती है।
स्वयंभू शिव: स्फटिक शिवलिंग को भगवान शिव का स्वयंभू रूप माना जाता है। अर्थात, यह प्राकृतिक रूप से निर्मित होता है और किसी बाहरी प्रक्रिया से नहीं।
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